
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, तमिलनाडु के राज्यपाल कार्यालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को तमिलनाडु सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है। तमिलनाडु सरकार की तरफ से मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई हैए जिसमें राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (वीसी) की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल से राज्य सरकार को हस्तांतरित करने वाले कानूनों पर रोक लगा दी गई थी। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने उच्च न्यायालय की अवकाश पीठ द्वारा 21 मई को पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए जवाब मांगा।
राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, राकेश द्विवेदी और पी विल्सन ने सर्वोच्च न्यायालय से यह स्पष्ट करने का भी आग्रह किया कि मद्रास उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित चुनौती के बावजूद 14 जुलाई को रोक हटाने के लिए उसके आवेदन पर सुनवाई कर सकता है। हालांकि, यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि तमिलनाडु ने भी सभी संबंधित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग करते हुए एक स्थानांतरण याचिका दायर की है। मेहता ने तर्क दिया कि आप मामले को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग नहीं कर सकते और साथ ही उच्च न्यायालय से आदेश के लिए दबाव नहीं बना सकते।
पीठ ने इस पहलू पर कोई भी राय व्यक्त करने से परहेज किया और उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य की याचिका पर औपचारिक नोटिस जारी करने तक ही खुद को सीमित रखा। उच्च न्यायालय का 21 मई का फैसला एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईए), पर आया था, जिसने राज्य के संशोधनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कानून यूजीसी के नियमों का उल्लंघन करते हैं, जो केंद्रीय प्रकृति के हैं और अनिवार्य करते हैं कि कुलपतियों की नियुक्ति कुलाधिपति-राज्यपाल द्वारा की जानी चाहिए।
