
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तनावपूर्ण माहौल में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने बच्चों और सशस्त्र संघर्ष (सीएएसी) पर वार्षिक खुली बहस के दौरान पाकिस्तान के आचरण की कड़ी आलोचना की। भारत ने इस्लामाबाद पर अपने आंतरिक मानवाधिकार हनन और राज्य प्रायोजित आतंकवाद से ध्यान हटाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंचों का हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। राजदूत हरीश ने पाकिस्तान को सीएएसी एजेंडे का गंभीर उल्लंघन करने वालों में से एक करार देते हुए उसकी निंदा कीए जिसमें लड़कियों के स्कूलों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले और अफगानिस्तान में सीमा पार से गोलाबारी शामिल है, जिसमें नाबालिगों को नुकसान पहुँचाया गया।
हरीश ने पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड को उसके सीमा पार आतंकी अभियानों से जोड़ाए 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले का संदर्भ दिया जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थेए जिसका आरोप पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों पर लगाया गया थाए और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 25 अप्रैल के बयान का हवाला देते हुए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने दोहराया कि भारत के 7 मई के जवाबी हमलों (ऑपरेशन सिंदूर) ने आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाया, पाकिस्तान ने सार्वजनिक रूप से आतंकवादियों के लिए राजकीय अंतिम संस्कार के साथ कार्रवाई का सम्मान किया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की सीएएसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए हरीश ने पाकिस्तान में गंभीर उल्लंघनों को रेखांकित कियाए जिसमें सीमा के पास अफगान बच्चों को घायल करने वाली सैन्य कार्रवाई भी शामिल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू और कश्मीर का पूरा केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न अंग हैए जो वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के बयान को चुनौती देता है।
