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पुरी धाम के जलमग्न होने के बाद इस मंदिर में प्रकट होंगे भगवान जगन्नाथ, अभी भक्त नहीं कर सकते सीधे दर्शन

ओडिशा में जगन्नाथ पुरी धाम के साथ ही एक और मंदिर प्रसिद्ध है, जिसका नाम है छतिया बट मंदिर। ओडिशा के भुवनेश्वर से लगभग 70 किलोमीटर दूर जाजपुर जिले के एक छोटे से गाँव छतिया में यह अनोखा मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि भगवान को समर्पित है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान कल्कि का जन्म भविष्य में होगा। छतिया बट मंदिर भविष्य में अवतरित होने वाले भगवान कल्कि को समर्पित हैए इसी वजह से यह बाकी मंदिरों से बिलकुल अलग और खास माना जाता है। यह मंदिर वैष्णव परंपरा और भगवान जगन्नाथ से जुड़ा हुआ है। यहां पर मां कालीए श्री गणेश, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की मूर्तियाँ विराजमान हैं। लेकिन एक खास बात ये है कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर में मूर्तियों की जो व्यवस्था होती है यानी भगवान जगन्नाथ और प्रभु बलभद्र के बीच में उनकी बहन सुभद्रा, वह इस मंदिर में नहीं है। छतिया बट मंदिर में सुभद्रा को सबसे अंत में रखा गया है, इसे एक नए युग की शुरुआत के संकेत के रूप में देखा जाता है।
यह मंदिर 15वीं शताब्दी के प्रसिद्ध ओड़िया संत अच्युतानंद दास (भविष्य मालिका के लेखक) की भविष्यवाणियों से भी जुड़ा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कलयुग में पुरी का श्री मंदिर जलमग्न हो जाएगा और भगवान जगन्नाथ पुरी के अपने मंदिर को छोड़ कर कल्कि अवतार के रूप में अपने भाई-बहन के साथ छतिया बट मंदिर में प्रकट होंगे। माना जाता है कि यहीं से कलयुग का अंत होगा और सतयुग की शुरुआत होगी।
छतिया बट मंदिर में रखी प्रतिमाओं के दर्शन करने की परंपरा भी अनोखी है। जिस तरह बाकी मंदिरों में भगवान की मूर्ति के दर्शन सामने से किए जाते हैं यहां वैसा नहीं होता। यहां भगवान की प्रतिमाओं को आईने में देख कर उनके दर्शन करने की परंपरा है। यानि भक्त भगवान के सीधे दर्शन नहीं कर सकते। यहां भगवान जगन्नाथ घोड़े पर सवार हैं और उनके हाथों में तलवार भी दिखाई देती है जो दिन पर दिन लंबी होती जा रही है।
ऐसी मान्यता है कि भविष्य में भगवान कल्कि छतिया गाँव में प्रकट होंगेए और यही वजह है कि छतिया का यह मंदिर इतना प्रसिद्ध और खास है। इसी कारण से इस मंदिर का निर्माण कार्य भी कभी बंद नहीं होता। हर दिन कुछ न कुछ निर्माण इस मंदिर में चलता ही रहता है। माना जाता है कि मंदिर तब तक पूरा नहीं होगा जब तक भगवान कल्कि खुद उसमें विराजमान न हो जाएं। यही वजह है कि भक्त इस मंदिर में दिल खोलकर दान भी करते हैं। छतिया बट मंदिर रथ यात्रा के लिए भी मशहूर है, जिसमें मंदिर के तीन मुख्य देवताओं को भव्य रथों पर बैठाकर यात्रा निकाली जाती है, जैसे पुरी में होता है।

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Author: Sulahkul

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