
नागपुर-गोवा शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे बनने का रास्ता साफ हो गया है। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने इस एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण और योजना को मंजूरी दे दी है। 802 किलोमीटर का हाई-स्पीड कॉरिडोर, जिसे आधिकारिक तौर पर महाराष्ट्र शक्तिपीठ महामार्ग के रूप में जाना जाता है, वर्धा जिले के पवनार को महाराष्ट्र-गोवा सीमा के पास सिंधुदुर्ग में पतरादेवी से जोड़ेगा। यह एक्सप्रेसवे राज्य के 11 जिलों से गुजरते हुए तीन शक्तिपीठों, दो ज्योतिर्लिंगों और पंढरपुर और अंबाजोगाई जैसे आध्यात्मिक केंद्रों सहित 18 प्रमुख धार्मिक स्थलों को जोड़ेगा। यह एक्सप्रेसवे महालक्ष्मी मंदिर (कोल्हापुर), तुलजा भवानी मंदिर (धाराशिव), और रेणुका माता शक्ति पीठ (नांदेड़) जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों को जोड़ेगा।
इस एक्सप्रेसवे के लैंड अधिग्रहण करने के लिए अभी 20,787 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट को राज्य द्वारा संचालित बुनियादी ढांचा निगम के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगाए जिसमें भूमि अधिग्रहण और प्रारंभिक नियोजन प्रक्रिया की देखरेख लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा की जाएगी। प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक 8,419 हेक्टेयर में से लगभग 8,100 हेक्टेयर व्यक्तिगत किसानों की जमीन है।
शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे को धार्मिक और सांस्कृतिक गलियारे के रूप में स्थापित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य विदर्भ, मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र में धार्मिक स्थलों को जोड़ना है। एक्सप्रेसवे वर्धाए यवतमालए हिंगोली, नांदेड, परभणी, लातूरए,बीड, धाराशिव, सोलापुर, कोल्हापुर और सिंधुदुर्ग से होकर गुजरेगा। प्रोजेक्ट के लिए अब 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पूरा होने तक लगभग 80,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। अधिकारियों का कहना है कि इस एक्सप्रेसवे के पूरा होने से नागपुर से गोवा का सफर 8 घंटे में पूरा हो जाएगा। अभी 18 घंटे का समय लगता है।
