
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता सिंह चौहान ने कहा है कि महिलाओं संबंधी अपराधों के निस्तारण में उत्तर प्रदेश देश में शीर्ष पर है। महिला उत्पीड़न के मामलों में त्वरित कार्रवाई से ग्राफ गिरा है। मीडिया से बातचीत में आयोग अध्यक्ष ने बताया कि महिला उत्पीड़न संबंधी निस्तारण के मामले में इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फार सेक्सुअल ओफेंस (आइटीएसएसओ) के माध्यम से सर्वे कराया गया है। इसके मुताबिक महिला उत्पीड़न के मामलों के निस्तारण में प्रदेश सबसे आगे रहा है।
उन्होंने बताया कि 21 अप्रैलए 2018 से 3 जून, 2025 तक के प्रकरणों के निस्तारण पर सर्वे कराया गया। उसकी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कुल 1,22,130 प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज की गईं। कुछ प्रकरण लंबित है। ज्यादातर मामले न्यायालयों और विवेचना में हैं। उन्हें भी निस्तारित किया जाएगा।
सर्वे के अनुसार दिल्ली महिलाओं के उत्पीड़न संबंधी मामलों के निस्तारण में 97.60 प्रतिशत के साथ दूसरे व हरियाणा 97.20 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है। चौहान ने बताया कि पहले की सरकारों में महिलाएं सुरक्षित नहीं थीं और उत्तर प्रदेश रैंकिंग में सातवें स्थान पर था। तब मामलों के निस्तारण की दर 95 प्रतिशत थी। उन्होंने बताया कि बड़े राज्यों की तुलना की जाए तो उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड 80 प्रतिशत के साथ दूसरे व मध्य प्रदेश 77 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है। प्रदेश में लंबित मामलों का अनुपात (पेंडेंसी रेट) 0.20 प्रतिशत है। मणिपुर का पेंडेंसी रेट 65.7 प्रतिशतए तमिलनाडु का 58.0 प्रतिशत व बिहार का 34.5 प्रतिशत है। महिला संबंधी मामलों के निस्तारण के लिए डब्ल्यूसीएसओ (वूमेन एंड चाइल्ड सेफ्टी आर्गेनाइजेशन) हर माह समीक्षा करता है।
