
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को ऑपरेशन सिंदूर के सफलतापूर्वक पूरा होने के तुरंत बाद स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर सवार होकर भारत की बढ़ती समुद्री क्षमताओं को उजागर किया। यह महज एक औपचारिक यात्रा नहीं थी, यह भारत के दुश्मनों, खासकर पाकिस्तान के लिए ताकत का रणनीतिक प्रदर्शन था, जो युद्धपोत की क्षमताओं को लेकर लगातार सतर्क हो रहा है।
आईएनएस विक्रांत का वर्तमान में अरब सागर में तैनात है। यह दौरा भारतीय नौसेना के रणनीतिक कैरियर बैटल ग्रुपए आईएनएस विक्रांत के नेतृत्व में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान निर्णायक भूमिका निभाने के हफ्तों बाद हुआ है। अपनी यात्रा के दौरानए राजनाथ सिंह ने मिशन के परिचालन परिणामों की समीक्षा की और तैनाती का हिस्सा रहे नौसेना कर्मियों से बातचीत की। ,
भारतीय नौसेना ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर पूरा किया है, जो उत्तरी अरब सागर में शक्ति का निर्णायक प्रदर्शन था। इस ऑपरेशन के केंद्र में प्छै विक्रांत थाए जिसने 8 से 10 जहाजों के एक मजबूत कैरियर बैटल ग्रुप का नेतृत्व किया, जिसमें स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट और विध्वंसक शामिल थे।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना ने अपने कैरियर बैटल ग्रुप के साथ उत्तरी अरब सागर में अग्रिम तैनाती की थी। इस समूह का नेतृत्व प्छै विक्रांत ने किया थाए जिसमें विध्वंसक और स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट जैसे 8 से 10 युद्धपोत शामिल थे। इस तैनाती ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दिया कि अगर उसने तनाव बढ़ाया तो भारतीय नौसेना न केवल उसके युद्धपोतों को बल्कि जमीनी ठिकानों को भी निशाना बना सकती है।
प्छै विक्रांत से पाकिस्तान डरता है और यह कोई छिपी हुई बात नहीं है। दरअसलए पाकिस्तान की नौसैनिक ताकत सीमित है और उसके पास 30 से भी कम युद्धपोत हैं। इसके विपरीतए INS विक्रांत अपने कैरियर बैटल ग्रुप के साथ एक शक्तिशाली युद्ध इकाई है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसकी अग्रिम तैनाती ने पाकिस्तानी नौसेना को कराची बंदरगाह छोड़ने से रोक दिया।
लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित प्छै विक्रांत को सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। भारतीय नौसेना के इन.हाउस संगठन द्वारा डिज़ाइन किया गया यह युद्धपोत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा बनाया गया है, जो बंदरगाहए जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का शिपयार्ड है।
