
हाथरस। विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट कोर्ट ने प्रवक्ता की दो मासूम बेटियों के हत्यारों को फांसी की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट कोर्ट रामप्रताप सिंह ने फैसला सुनाते हुए टिप्पणी की है कि जिस भरोसे से आश्रय दियाए अभियुक्तों ने उसी का कत्ल कर दिया। इस कृत्य से समाज पर यह प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है कि कोई भी व्यक्ति अपने रिश्तेदारों पर अविश्वास प्रकट करना शुरू कर देगा। फैसले में कहा है कि यह निर्विवाद रूप से स्वीकृत तथ्य है कि अभियुक्त 22 जनवरी को नौ बजे वीरांगना के घर पर आए थे। वीरांगना और उनके पति छोटे लालए दोनों बच्चियां उनको अपना रिश्तेदार होने के नाते घर में आश्रय देकर सो गए थे।
परिवार को अभियुक्तों व उनसे जुड़े सामाजिक रिश्तों पर उन्हें पूर्ण विश्वास था, लेकिन अभियुक्तों ने वीरांगना व उसके परिजनों के विश्वास का कत्ल कर दिया। अदालत ने कहा है कि वीरांगना का पति छोटे लाल घटना के लगभग एक वर्ष पहले से हुए लकवे से पीड़ित होने के कारण असहाय थे, हत्यारों ने वीरांगना की दोनों अबोध और निर्दोष बच्चियों की हत्या कर उनके वंश को नष्ट कर दिया और वीरांगना को असहाय बना दिया।
न्यायालय में अभियुक्तगणों के अधिवक्ता की ओर से तर्क दिया कि वह युवा हैं और समाज में उनके पुनर्वास की संभावना है। न्यायालय ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि अभियुक्तों ने कुछ रुपयों के लालच में फतेहपुर से आकर अबोध बच्चियों की गर्दनों पर कई.कई जानलेवा चोटें पहुंचाकर बर्बरता पूर्वक निर्मम हत्या की गई है। विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट कोर्ट राम प्रताप सिंह ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि दोनों बच्चियों की निर्ममता से हत्या की गई, दोषियों तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उनकी मृत्यु न हो जाए। हत्या की धारा में दोनों को मृत्यु दंड एवं 20.20 हजार रुपये से अंर्थदंड से भी दंडित किया है।
अदालत अपने फैसले में इस बात का भी उल्लेख किया है कि इनकी साजिश का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहले से घर में आ गए। खाना खाया, चाचा-चाचा कहते रहे, लेकिन उनके मस्तिष्क में पल रहे पूर्व नियोजित प्लान में कोई बदलाव नहीं किया गया। न ही अबोध बच्चियों पर कोई दया आई।
विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट ने आशीर्वाद धाम कॉलोनी में चार माह पहले हुई प्रवक्ता छोटेलाल गौतम की दो बेटियों सृष्टि (12) और विधि (6) की गला रेतकर हत्या करने के दो दोषियों विकास और लल्लू पाल को फांसी की सजा सुनाई है।
प्रॉपर्टी कब्जाने के लिए प्रवक्ता के भतीजे सोनेलाल ने दुबई से पूरे परिवार के खात्मे की सुपारी दी थी और गांव के रिश्ते के भतीजे विकास ने अपने दोस्त लल्लू के साथ मिलकर वारदात की। 23 जनवरी की रात को पुलिस ने दोनों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया था।
इस दौरान वीरांगना की आंख खुल गई और विरोध करने पर उन पर भी हमला किया। वीरांगना भागकर गेट तक पहुंचीं और शोर सुनकर पड़ोसी भी एकत्र हो गएए जिसके बाद दोनों भाग गए थे। लहूलुहान दंपती को उपचार के लिए अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट राम प्रसाद सिंह ने फैसला सुनाते हुए बताया कि वीरांगना की अबोध व मासूम बच्चियों ने जीवन के विभिन्न रंग और संसार को ठीक प्रकार से देखा भी नहीं था। दोनों बच्चियां अपना प्राकृतिक जीवन भी ठीक प्रकार से प्रारंभ भी नहीं कर पाई थीं। विश्वास का कत्ल करकेए रिश्तों को ताक पर रखकर चंद रुपयों के लालच में यह क्रूरतापूर्ण घटना कारित की गई है।
