
भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी की जमानत हासिल करने की 10वीं कोशिश को यू.के. हाईकोर्ट ने 15 मई को दृढ़ता से खारिज कर दिया। लंदन में रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में फैसला सुनाते हुए जस्टिस माइकल फोर्डहम ने कहा कि मोदी के पास पर्याप्त सबूत हैं और फरार होने के जोखिम को एक बड़ी चिंता के रूप में उजागर किया। न्यायमूर्ति फोर्डहम ने याचिका खारिज करते हुए कहा, और मैं दोहराता हूं, सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के बाद, यू.के. की अदालतें दो बार इस निष्कर्ष पर पहुंची हैं कि आवेदक के खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूतों के आधार पर मामला बनता है। कोर्ट ने आगे बताया कि भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में मुख्य आरोपी मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक से जुड़े 13,800 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़े बहुत गंभीर और ठोस आरोप हैं।
भारत सरकार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के माध्यम से विदेशी बैंकों को जारी किए गए फ़र्जी लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग का उपयोग करके पीएनबी को धोखा देने के लिए मुकदमे का सामना करने के लिए उसके प्रत्यर्पण की मांग कर रही है। भारतीय एजेंसियों ने लंदन हाई कोर्ट के समक्ष नीरव मोदी की ज़मानत याचिका का विरोध किया। 2019 में यूनाइटेड किंगडम में हिरासत में लिए जाने के बाद से यह उनकी 10वीं ज़मानत याचिका थी। नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक में 13,800 करोड़ रुपये से ज़्यादा की धोखाधड़ी का मुख्य आरोपी है। दिसंबर 2019 में भारत ने उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था। ईडी ने 2018 में उसके और उसके चाचा मेहुल चोकसी के खिलाफ पीएमएलए का मामला दर्ज किया था, जिसमें जांच के दौरान कई संपत्तियां जब्त की गई थीं। प्रत्यर्पण को रोकने के उसके प्रयास बार.बार विफल रहे हैंए जिसमें दिसंबर 2022 में यूके सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी शामिल है। ब्रिटिश अधिकारियों ने मार्च 2019 में मोदी को गिरफ्तार किया था और यूके हाई कोर्ट ने पहले ही भारत में उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है।
