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जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से संपर्क करना चाहिए। यह मामला जज के घर पर जली हुई नकदी मिलने के दो महीने बाद आया है। उपराष्ट्रपति ने पहले एफआईआर दर्ज न किए जाने पर सवाल उठाए थे और त्वरित जांच की मांग की थी।
न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति वर्मा के जवाब के साथ इन.हाउस जांच समिति की रिपोर्ट पहले ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी है। पीठ ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ताओं ने कार्रवाई की मांग करते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष अभिवेदन दायर नहीं किया हैए इसलिए परमादेश की मांग करने वाली रिट याचिका विचारणीय नहीं है। पीठ ने कहा कि याचिका में उठाई गई अन्य राहतों . जैसे कि इन.हाउस जांच प्रक्रिया निर्धारित करने वाले वीरस्वामी फैसले पर पुनर्विचार पर वर्तमान चरण में विचार करने की आवश्यकता नहीं है। याचिका अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्परा और तीन अन्य ने दायर की है। जैसे ही मामला लिया गयाए न्यायमूर्ति ओका ने नेदुम्परा से कहाए एक इन-हाउस जांच रिपोर्ट थी। इसे भारत के राष्ट्रपति और भारत के प्रधान मंत्री को भेज दिया गया है।
न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप दाखिल नहीं कर सकते। आप रिपोर्ट की विषय.वस्तु नहीं जानते। हम भी उस रिपोर्ट की विषय.वस्तु नहीं जानते। आप उनसे कार्रवाई करने का आह्वान करते हुए एक अभिवेदन प्रस्तुत करें। यदि वे कार्रवाई नहीं करते हैंए तो आप यहां आ सकते हैंए । नेदुम्परा ने तब वीरस्वामी फैसले पर सवाल उठाया जिसके आधार पर आंतरिक जांच की गई थी और कहा कि फैसले पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति ओका ने कहाए अंततःए आपकी मुख्य प्रार्थना यह है कि संबंधित न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

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Author: Sulahkul

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