
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को ऑपरेशन सिंदूर पर उनके विवादित पोस्ट पर अंतरिम जमानत मिल गई, लेकिन मामले की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने हरियाणा के डीजीपी को निजी विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर के खिलाफ मामले की जांच के लिए आईजी रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी गठित करने का भी निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने महमूदाबाद को हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष से संबंधित कोई भी ऑनलाइन सामग्री पोस्ट करने से रोक दिया है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को बरकरार रखते हुएए शीर्ष अदालत ने कहा कि महमूदाबाद के बयान कानूनी तौर पर ष्डॉग व्हिसलिंगष् के अंतर्गत आते हैं। पीठ ने महमूदाबाद के शब्दों के चयन पर भी सवाल उठायाए जिसमें कहा गया कि वे सार्वजनिक विमर्श में रचनात्मक योगदान देने के बजाय दूसरों को अपमानित करने, अपमानित करने या असहज करने के इरादे से प्रतीत होते हैं। प्रोफेसर को 18 मई को सोनीपत के राई पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज होने के बाद गिरफ्तार किया गया था। एक शिकायत हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने और दूसरी शिकायत भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) के महासचिव योगेश जठेरी ने दर्ज कराई थी।
विवादित पोस्ट एक्स पर की गई थी और इसमें ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी शामिल थी। पोस्ट के आलोचकों ने दावा किया कि यह सशस्त्र बलों के प्रति अपमानजनक था और सांप्रदायिक विद्वेष को भड़काता था। हालांकिए महमूदाबाद ने अपने पोस्ट का बचाव करते हुए कहा कि यह शांति की अपील थी और इसका गलत अर्थ निकाला जा रहा है।
